वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो.
चट्टानों की छाती से दूध निकालो.
है रुकी जहाँ भी धार शिलाएँ तोड़ो.
'पीयूष' चन्द्रमाओं को पकड़ निचोड़ो.
चढ़ तुंग शैल-शिखरों पर सोम पियो रे !
योगियों नहीं, विजयी के सदृश्य जियो रे !
मत टिको मदिर, मधुमयी, शांत छाया में.
भूलो मत उज्ज्वल ध्येय, मोह-माया में.
लौलुप्य-लालसा जहाँ, वहीं पर क्षय है.
आनंद नहीं, जीवन का लक्ष्य विजय है
चट्टानों की छाती से दूध निकालो.
है रुकी जहाँ भी धार शिलाएँ तोड़ो.
'पीयूष' चन्द्रमाओं को पकड़ निचोड़ो.
चढ़ तुंग शैल-शिखरों पर सोम पियो रे !
योगियों नहीं, विजयी के सदृश्य जियो रे !
मत टिको मदिर, मधुमयी, शांत छाया में.
भूलो मत उज्ज्वल ध्येय, मोह-माया में.
लौलुप्य-लालसा जहाँ, वहीं पर क्षय है.
आनंद नहीं, जीवन का लक्ष्य विजय है
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