Wednesday, November 30, 2011

मुझे पुकार लो -HRB

इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!

ज़मीन है न बोलती न आसमान बोलता,
जहान देखकर मुझे नहीं जबान खोलता,
       नहीं जगह कहीं जहाँ न अजनबी गिना गया,
       कहाँ-कहाँ न फिर चुका दिमाग-दिल टटोलता,
कहाँ मनुष्य है कि जो उमीद छोड़कर जिया,
इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो

इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!

तिमिर-समुद्र कर सकी न पार नेत्र की तरी,
विनष्ट स्वप्न से लदी, विषाद याद से भरी,
       न कूल भूमि का मिला, न कोर भोर की मिली,
       न कट सकी, न घट सकी विरह-घिरी विभावरी,
कहाँ मनुष्य है जिसे कमी खली न प्यार की,
इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे दुलार लो!

इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!

उजाड़ से लगा चुका उमीद मैं बहार की,
निदघ से उमीद की बसंत के बयार की,
       मरुस्थली मरीचिका सुधामयी मुझे लगी,
       अंगार से लगा चुका उमीद मै तुषार की,
कहाँ मनुष्य है जिसे न भूल शूल-सी गड़ी
इसीलिए खड़ा रहा कि भूल तुम सुधार लो!

इसीलिए खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!
पुकार कर दुलार लो, दुलार कर सुधार लो!

लो दिन बीता, लो रात गई -HRB

लो दिन बीता, लो रात गई,
सूरज ढलकर पच्छिम पहुँचा,
डूबा, संध्या आई, छाई,
     सौ संध्या-सी वह संध्या थी,
क्यों उठते-उठते सोचा था,
     दिन में होगी कुछ बात नई।
लो दिन बीता, लो रात गई।

धीमे-धीमे तारे निकले,
धीरे-धीरे नभ में फैले,
     सौ रजनी-सी वह रजनी थी
क्यों संध्या को यह सोचा था,
     निशि में होगी कुछ बात नई।
लो दिन बीता, लो रात गई।

चिड़ियाँ चहकीं, कलियाँ महकी,
पूरब से फिर सूरज निकला,
     जैसे होती थी सुबह हुई,
क्यों सोते-सोते सोचा था,
     होगी प्रातः कुछ बात नई।
लो दिन बीता, लो रात गई,

किस कर में यह वीणा धर दूँ? --HRB


देवों ने था जिसे बनाया,
देवों ने था जिसे बजाया,
मानव के हाथों में कैसे इसको आज समर्पित कर दूँ?
किस कर में यह वीणा धर दूँ?
इसने स्वर्ग रिझाना सीखा,
स्वर्गिक तान सुनाना सीखा,
जगती को खुश करनेवाले स्वर से कैसे इसको भर दूँ?
किस कर में यह वीणा धर दूँ?
क्यों बाकी अभिलाषा मन में,
झंकृत हो यह फिर जीवन में?
क्यों न हृदय निर्मम हो कहता अंगारे अब धर इस पर दूँ?
किस कर में यह वीणा धर दूँ?

Thursday, November 24, 2011

Forever & Ever & Ever……

The one who gives me strength & pride its you,
The one who is with me in every stride its you,
Your presence makes the garden of my life blossom & fragrant,
The rhythm of love is heard by me every moment.
You are the shadow in the sun,
You soothe me in my affliction,
The happiness of my life, my belief, my aspiration.
My world starts with you & ends with you,
You have smeared my heart with colors possessed by you.
Its not the blood but the love that flows,
Making me robust, enabling me to glow.
I pray to God, for your well being day and night,
I grieve, when your are out of my sight,
O Lord! May the warmth of our eternal love, have no measure,
May we accompany each other forever & ever & ever……


 

Maa

तुमने हमें दिया आकार,
तेरी महिमा है अपरम पार,
कष्ट सहकर भी किया,
हमारे सपनों को साकार!

तुमने खुद गिर कर हमको उठाया,
तारों के समान चमकना सिखाया,
फूलों के पथ पर हमें सुलाया,
और खुद कांटों को ही अपनाया!
तेरे आँचल के साये में पले,
हम नन्हें सुमन अध खिले!
दिया हमें खुशियों का चमन,
ह्रदय में लिए एक सुनहला सपन!
उज्जवल भविष्य का कल्पित संसार,
दिया हमें शिक्षा और ज्ञान का उपहार!
हे माँ, तुम हो महान क्या करूँ मैं अर्पित,
तेरे लिए ही सब कुछ समर्पित सब कुछ समर्पित!!


 

For Someone Special….

I don’t have words to express,
the gratitude towards you.
I got the sweetest friend,
the lovely sister and caring guardian in you.
The love and care bestowed on me,
gave me strength to abide.
I felt secured always,
as you were there by my side.
All your thoughts and advises,
I will keep in mind.
Even if I don’t comply,
my conscious will remind.
The walks to home,
the trips to places and points.
The shooting shuttles,
lunches in food joints.
The smiles, the frowns,
the grins and growls,
I will remember each expression.
I wish the sweet bond never breaks,
the hearts will carry the impression.
I will never forget the moments
we spent together,
all the bits are bright in mind
and will cherish them forever!


 

नज़र

अपनी ख़ुशी को जाहिर करने से डर लगता है
क्यूंकि हर एक शख्स मुझको घूरता हुआ लगता है,
लग जाये न कहीं किसी की नज़र
कभी कभी तो खुद को बताने से ही डर लगता है!
हर पथ पे जो ठोकर खा चूका हो
हर शख्स से जो ठगा जा चूका हो,
ऊपर वाले पे भरोसे से डरता हो
जो हर मंदिर में दिया लगा चूका हो!
मन चंचल है इससे कोई राज़ नहीं छुपता
इसको बताओ तो इसके पेट में नहीं पचता,
छल कपट इसको आता नहीं है
इसलिए जो हसके मिले उसी को अपना लेता है!
गम और चिन्ताओं से पहले ही इतना घिरे थे
की आशा की किरण को गर्मी की लपट समझ बैठे,
आंधियों से अपना आशियाना गंवा बैठे थे
इसलिए शीतल हवा को भी आंधी समझ बैठे!
या खुदा! अब बस इतना सा करम करना
अगर मुसकुराहट चेहरे पे आई है तो वापस मत छीनना,
हम खुद भी लोगों की नज़र से इसे बचाएंगे
पर तू ही इसे खुद की और हमारी नज़र मत लगने देना!


 

आँह उसे भी लगती होगी..

कहीं तो बारीश होती होगी,
जमीं नम होती होगी।
कहीं तो खुशी होती होगी,
आँखे नम होती होगी।

कोई तो राह निकलती होगी,
जो मंजील को जाती होगी।
कोई तो फरिश्ता होता होगा,
बेसहारे को सहारा देता होगा।
कोई तो चादर होती होगी,
जो लूटी आब्रू को ढकती होगी।
कभी प्यार हमने भी किया था,
आँह तो उसे भी लगती होगी।

Ham phool sahi lekin patthar bhi uthayenge

Ghazlon ka hunar apni aankhon ko sikhayenge
Royenge bahut lekin aansu nahin ayenge
Kah dena samandar se ham os key moti hain
Darya ki tarah tujh se milne nahin ayenge
Wo dhoop key chhappar hon ya chhaon ki deewaren
Ab jobhi uthayenge mil jul key uthayenge
Jab saath na de koi aawaz hamein dena
Ham phool sahi lekin patthar bhi uthayenge

Uski aankhon sa uske gesu sa

Uski aankhon sa uske gesu sa
Mera sara kalam khusboo sa
Meri palkon pe jhilmilata hai
Raat bhar eik nam jugnu sa
Kitni muddat key baad tujh se mile
Muskurata hai pyar ansoo sa
Aaj waada kisi ka toot gaya
Reshmi titliyon key.. bazu sa
Roz tanhaiyon mein ik chehra
Tolta hai mujhe tarazo sa

मेरी अंतिम अभिलाषा

लो  आज  चला  इस  दुनिया से , साथी  ना मिला  इस  धरती  पर .
अगर  अपना  सा  मै तुम्हे  लगू , तो  दो  फूल  चढ़ाना  अर्थी  पर
मौन  अस्थिया अब मेरी , तुमको ना  बुलाने आयेंगी .
तुम  समझ  सको  तो  आ  जाना , वरना  यूँ  ही  जल  जाएँगी
यूँ  तो  जीवन  भर  जला  किया , पर  आज  आखरी  ज्वाला  है .
तुम  दो  आंसू छलका देना , मै  समझूंगा  वरमाला  है
बल खाके  जब धुआं  उठेगा  , पढ़  लेना  तुम  उसकी  भाषा
पुनर्जन्म  में  मिलना  तुम , यही है मेरी  अंतिम  अभिलाषा 


 

Wednesday, November 23, 2011

Us Pagli Ladki Ke Bin Jeena --Kumar Viswas


मावस की काली रातों में दिल का दरवाजा खुलता है,
जब दर्द की काली रातों में गम आंसू के संग घुलता है,
जब पिछवाड़े के कमरे में हम निपट अकेले होते हैं,
जब घड़ियाँ टिक-टिक चलती हैं,सब सोते हैं, हम रोते हैं,
जब बार-बार दोहराने से सारी यादें चुक जाती हैं,
जब ऊँच-नीच समझाने में माथे की नस दुःख जाती है,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है।

जब पोथे खाली होते है, जब हर्फ़ सवाली होते हैं,
जब गज़लें रास नही आती, अफ़साने गाली होते हैं,
जब बासी फीकी धूप समेटे दिन जल्दी ढल जता है,
जब सूरज का लश्कर छत से गलियों में देर से जाता है,
जब जल्दी घर जाने की इच्छा मन ही मन घुट जाती है,
जब कालेज से घर लाने वाली पहली बस छुट जाती है,
जब बेमन से खाना खाने पर माँ गुस्सा हो जाती है,
जब लाख मन करने पर भी पारो पढ़ने आ जाती है,
जब अपना हर मनचाहा काम कोई लाचारी लगता है,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है।

जब कमरे में सन्नाटे की आवाज़ सुनाई देती है,
जब दर्पण में आंखों के नीचे झाई दिखाई देती है,
जब बड़की भाभी कहती हैं, कुछ सेहत का भी ध्यान करो,
क्या लिखते हो दिन भर, कुछ सपनों का भी सम्मान करो,
जब बाबा वाली बैठक में कुछ रिश्ते वाले आते हैं,
जब बाबा हमें बुलाते है,हम जाते में घबराते हैं,
जब साड़ी पहने एक लड़की का फोटो लाया जाता है,
जब भाभी हमें मनाती हैं, फोटो दिखलाया जाता है,
जब सारे घर का समझाना हमको फनकारी लगता है,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है।

दीदी कहती हैं उस पगली लडकी की कुछ औकात नहीं,
उसके दिल में भैया तेरे जैसे प्यारे जज़्बात नहीं,
वो पगली लड़की मेरी खातिर नौ दिन भूखी रहती है,
चुप चुप सारे व्रत करती है, मगर मुझसे कुछ ना कहती है,
जो पगली लडकी कहती है, मैं प्यार तुम्ही से करती हूँ,
लेकिन मैं हूँ मजबूर बहुत, अम्मा-बाबा से डरती हूँ,
उस पगली लड़की पर अपना कुछ भी अधिकार नहीं बाबा,
सब कथा-कहानी-किस्से हैं, कुछ भी तो सार नहीं बाबा,
बस उस पगली लडकी के संग जीना फुलवारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है |||

माँ


लबों पर उसके कभी बददुआ नहीं होती,
बस एक माँ है जो कभी खफ़ा नहीं होती।

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।

मैंने रोते हुए पोछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुप्पट्टा अपना।

अभी ज़िंदा है माँ मेरीमुझे कुछ भी नहीं होगा,
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है।

जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है,
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है।

ऐ अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
माँ ने आँखें खोल दी घर में उजाला हो गया।

मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं
मां से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ।

मुनव्वर‘ माँ के आगे यूँ कभी खुलकर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती

लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है
मैं उर्दू में गज़ल कहता हूँ हिन्दी मुस्कुराती है।

Tuesday, November 22, 2011

मेरी कक्षा का एक विद्यार्थी

मेरी कक्षा का एक विद्यार्थी
बल्कि यूँ कहिये परीक्षार्थी
आचार्य के सम्मुख खडा था
आचार्य के साइज़ से काफी बड़ा था
आचार्य ने उसको देखा
उसके मस्तक पर थी चिंता की रेखा
वह डर रहा था,क्यूकि परीक्षाभवन में नक़ल कर रहा था
आचार्य ने कहा ''क्यों बे नक़ल करता है ,कानून से बिलकुल नहीं डरता है ''
क्या तुझे पता है ? नकल करना कितनी बड़ी खता है ?
नहीं पता ना,मैं तुझे बताता हूँ
तुझे आज जेल भिजवाता हूँ
यह सुन छात्र काँप गया ,
आचर्य के इरादे को भांप गया
थोडा सा डर कर ,और थोडा संभलकर
उसने मुह खोला ,और वह बोला
सर इकलोते बाप का इकलोता रईस हूँ
ले दे के दुनिया में एक ही पीस हूँ
कृपया छोड़ दीजिये आज माफ़ कीजिये
यह सुन अध्यापक झल्लाया
आंखे फाड़ उसपे चिलालाया
अच्छा एक तो नक़ल करता है
ऊपर से बाप को बदनाम करता है
सर वह तो पहले से ही बदनाम है
क्यों की वो शहर का माना हुआ हज्जाम है
अच्छा तो तू उसका बेटा है ???
कम्बख्त तो दूध नहीं सपरेटा है
आगे से गलती मत करना
इस बार नहीं छोडूंगा वरना

उससे हम क्यों भला छेड़खानी करें

उससे हम क्यों भला छेड़खानी करें
उससे हम क्यों भला छेड़खानी करें
जिसके भाई सभी पहलवानी करें

माना उससे कोई ख़ूबसूरत नही
है कोई दिल कि जिसमें वो मूरत नहीं
पसलियाँ एक हो जाएँ जिस प्यार में
मुझको उस प्यार की अब ज़रूरत नहीं
उसपे क़ुर्बान क्यों ये जवानी करें...
जिसके भाई...

हाथ पैरों से मोहताज़ हो जाऊँ मैं
एक टूटा हुआ साज़ हो जाऊँ मैं
इश्क़ के इस झमेले में क्यों ख़ामख़ा
आई एम से आई वाज़ हो जाऊँ
मैं मुफ़्त में क्यों फ़ना ज़िंदगानी करें...
जिसके भाई...

क्यों कहूँ झूठ मैं उनसे डरता नहीं
ऐसी हिम्मत का दावा मैं करता नहीं
उसके भाई कहीं ना मुझे देख लें
उस मोहल्ले से भी मैं ग़ुज़रता नहीं
उनके जूते मेरी मान-हानी करें...
जिसके भाई...

जिस पे ख़तरा हो उसपे क्यों ट्राई करें
सबसे पिटते फिरें जग हँसाई करें
उसके भाई जो ठोकें सो ठोकें मगर
राह चलते भी मेरी ठुकाई करें
अपनी काया से क्यों बे-ईमानी करें...
जिसके भाई...

बात करने का भी है नहीं हौसला
बेहतरी है सुरक्षित रखें फ़ासला
भाइयों कि पिटाई झिलेगी नहीं
बस यही सोच के कर लिया फ़ैसला
ख़त्म अपनी यहीं पर कहानी करें...
जिसके भाई...

Smile your Life Away

If you aren't happy and feel depressed
Try to laugh away all those problems
There are many things for which joy can be expressed
For our being alive, smile is an emblem

Look away when someone stares with rage
Turn deaf ears to someone abusing you
Take every frustration with calmness of sage
Just for the sake of smiling; smile all life through

Realize life cannot consist of only pleasures
Its needs to have its own share of strife too
Why not find the in-hidden treasures
Why not be satisfied with God’s gift to you

Do not be scared of trouble’s slimy hands
Shed not even a drop of tear
Against time not even the cruelest stands
When God is our guardian; then why fear?

Do not be always receiving from everyone
Remember, there is joy in giving too
From right path be distracted by none
Be happy if you harm no one and are true

Do not feel sad if you have no wealth
Do the happily chirping birds possess money???
Great wealth is your happiness and good health
And wealth is your words, if sweet as honey

Be happy for you know not death’s pace of creeping
Laugh as you know not when life declines
Life when it came to you had found you weeping
So shouldn't death find you in all smiles?

A true friend who stands .....

When trouble strikes a blow
Downwards when my spirits flow
My progress limps on very slow
And I find myself in dumps so low
Suddenly when I am at a dead end
A pat on my back says, be brave my friend
That pat is from my friend in need
A true friend who stands by me in trouble is a friend indeed………..

Monday, November 21, 2011

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है --Kumar Vishwas

कोई दीवाना  कहता  है  कोई  पागल  समझता  है
मगर  धरती  की  बेचैनी  को  बस  बादल समझता  है
मै तुझसे  दूर  कैसा  हूँ , तू  मुझसे  दूर  कैसी  है
ये  तेरा  दिल समझता  है  या  मेरा  दिल  समझता  है
की   मोह्हबत  एक  एहसासों  की  पवन  सी  कहानी  है
कभी  कबीरा  दीवाना  था  कभी  मीरा  दीवानी  है
यहाँ  सब  लोग   कहते  हैं  मेरी  आखों  में  आंसू  है
जो  तू  समझे  तो  मोती  है  जो  न  समझे  तो  पानी  है
समंदर  पीर  का  अंदर  है  लेकिन  रो  नहीं  सकता
ये  आंसू  प्यार  का  मोती  है  इसको  खो  नहीं  सकता
मेरी  चाहता  को  दुल्हन  तू  बना  लेना  मगर   सुन  ले
जो  मेरा  हो  नहीं  पाया  वो  तेरा  हो  नहीं  सकता


भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूबकर सुनते थे सब किस्सा मुहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा

कभी कोई जो खुलकर हंस लिया दो पल तो हंगामा
कोई ख़्वाबों में आकार बस लिया दो पल तो हंगामा
मैं उससे दूर था तो शोर था साजिश है , साजिश है
उसे बाहों में खुलकर कस लिया दो पल तो हंगामा

जब आता है जीवन में खयालातों का हंगामा
ये जज्बातों, मुलाकातों हंसी रातों का हंगामा
जवानी के क़यामत दौर में यह सोचते हैं सब
ये हंगामे की रातें हैं या है रातों का हंगामा

कलम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा
गिरेबां अपना आंसू में भिगोता हूँ तो हंगामा
नही मुझ पर भी जो खुद की खबर वो है जमाने पर
मैं हंसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा

इबारत से गुनाहों तक की मंजिल में है हंगामा
ज़रा-सी पी के आये बस तो महफ़िल में है हंगामा
कभी बचपन, जवानी और बुढापे में है हंगामा
जेहन में है कभी तो फिर कभी दिल में है हंगामा

हुए पैदा तो धरती पर हुआ आबाद हंगामा
जवानी को हमारी कर गया बर्बाद हंगामा
हमारे भाल पर तकदीर ने ये लिख दिया जैसे
हमारे सामने है और हमारे बाद हंगामा